Thursday, January 23, 2025

जग की पीड़ा गाने वाले !

सबका साथ निभाने वाले
दुनिया से लड़ जाने वाले
अपने मन की टीस छुपाकर
जग की पीड़ा गाने वाले
वरदानों का रूप धरे कुछ अभिशापों से हार गए हैं
कुछ ऐसे मन हैं जो जग के संतापों से हार गए हैं

थक कर टूट गए हैं बहरे देवों को आवाज़ लगाते
पथराई आँखों से रोते, पत्थर में देवत्व जगाते
सम्बन्धों की भीड़ मिली पर कोई एक मिला ना ऐसा
जिससे मन की पीड़ा कहते जिसको मन का हाल सुनाते

जीवन में सुख-दुख के बिगड़े अनुपातों से हार गए हैं
कुछ ऐसे मन हैं जो जग के संतापों से हार गए हैं

हार हुई तो जग ने अपनी रीत निभाई, खेद जताया
कुछ ने इक निष्कर्ष निकाला, कुछ ने अपना तर्क लगाया
पर टूटे मन की उधड़न को, किसने देखा, किसने तुरपा
कुछ ने अपनी आँख चुरा ली, कुछ ने केवल मुँह बिचकाया

कुछ ने बोला; "कायर हैं ये, हालातों से हार गए हैं"
कुछ ऐसे मन हैं जो जग के संतापों से हार गए हैं

यूँ थोड़ी था विपदाओं से लड़ जाने में सकुचाए थे
यूँ थोड़ी था संघर्षों से, बाधाओं से अकुलाए थे
छल की चाल समझ पाने का किंचित भी अभ्यास नहीं था
यूँ थोड़ी था रण में जाते, शस्त्र उठाते घबराए थे

सच तो ये है वो अपनों के आघातों से हार गए हैं
कुछ ऐसे मन हैं जो जग के संतापों से हार गए हैं

© ✍🏻 निकुंज शर्मा

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