Friday, January 24, 2025

तुमको अच्छे नहीं लगेंगे

तुमको बस वो ही भाते जो जूठे फूलों से दुलराएँ 
सच के तीर चलाने वाले तुमको अच्छे नहीं लगेंगे

हम ठहरे आराधक श्रम के, 
कैसे निज-आदर तज पाते
जय जयकार तुम्हारी करते, 
और तुम्हारे ध्वज लहराते
साथ तुम्हें उनका भाता जो मौन तुम्हारे पीछे आएँ
हम निज राह बनाने वाले तुमको अच्छे नहीं लगेंगे

चाल तुम्हारी ग़लत सही पर
हम कोई भी भेद न जानें
औऱ तुम्हारी वाणी को ही 
परम सत्य कहकर हम मानें
तुमको वो ही भाते हैं जो साथ तुम्हारे कोरस गायें
हम निज सुर में गाने वाले तुमको अच्छे नहीं लगेंगे

ख़ुद जूझे हम अँधियारों से 
सूरज से उजियार न माँगा
प्रतिमाओं के पाँव न पूजे, 
देवों से उपकार न माँगा
तुमको अभिलाषा उनकी है, जो द्वारे पर शीश झुकाएँ
हम दर्पण दिखलाने वाले तुमको अच्छे नहीं लगेंगे

© ✍🏻 निकुंज शर्मा

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