कभी होता नहीं है मन, तो बे-मन बाँध आता हूँ
कहीं हो जाए ना देवों से अनबन, बाँध आता हूँ
मुझे मालूम है बे-शक वो मेरा है मगर फिर भी
शजर पर मन्नतें अपनी मैं रस्मन बाँध आता हूँ
कहीं हो जाए ना देवों से अनबन, बाँध आता हूँ
मुझे मालूम है बे-शक वो मेरा है मगर फिर भी
शजर पर मन्नतें अपनी मैं रस्मन बाँध आता हूँ
© ✍🏻 निकुंज शर्मा
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