मैंने देखे गंगा तट पर , घाट असि मंदिर चौखट पर
राम सिया की धुन में डूबे , बाबा तुलसी मानस गाते
जप, तप, त्याग, समर्पण देखे
बिछुड़न, आँसू, तर्पण देखे
मिलन, आस्था, धर्म, उपासक
उत्सव, ख़ुशियों के क्षण देखे
मैंने देखे गंगा तट पर, केवट की विनती पर, हठ पर
वनवासी धनुधारी रघुवर अपने पद पंकज धुलवाते
मैंने देखे गंगा तट पर, बाबा तुलसी मानस गाते...
प्रेमी प्रेम जताते देखे
रूठा प्यार मनाते देखे
संत कबीरा जीवन-साखी
इकतारे पर गाते देखे
मैंने देखे गंगा तट पर ,मन्नत के धागे इक वट पर
देखी उस वट की चौखट पर एक सुहागिन दीप जलाते
मैंने देखे गंगा तट पर, बाबा तुलसी मानस गाते...
इक बालक को हँसते देखा
एक चिता को जलते देखा
कुछ घाटों पर उगता सूरज
कुछ घाटों पर ढलते देखा
मैंने देखे शव मरघट पर, और उसी मरघट के तट पर
काशी विश्वनाथ शिव शम्भू, जन्म मरण का बंध छुड़ाते
मैंने देखे गंगा तट पर, बाबा तुलसी मानस गाते...
© ✍🏻 निकुंज शर्मा
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