इस जग से निष्कासित ठहरा; ना है ठौर ठिकाना केशव
मैं प्रेमी हूँ मुझको केवल आता प्रेम निभाना केशव
जीवन की हर एक कठिनता से मैं अपने आप लड़ूँगा
जब गिर जाऊँ थक कर भू पर, तुम बस कंठ लगाना केशव
मैं प्रेमी हूँ मुझको केवल आता प्रेम निभाना केशव
जीवन की हर एक कठिनता से मैं अपने आप लड़ूँगा
जब गिर जाऊँ थक कर भू पर, तुम बस कंठ लगाना केशव
© ✍🏻 निकुंज शर्मा
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