Thursday, January 23, 2025

बग़ावत

सच की ख़ातिर लड़ने की लत रहती है
सर पर रोज़ नई इक आफ़त रहती है
उनकी दुनिया थोड़ी मुश्किल दुनिया है
जिनके भीतर एक बग़ावत रहती है

© ✍🏻 निकुंज शर्मा

No comments:

Post a Comment

एकाकी मन की चौखट

गहन अँधेरों का डेरा है, एकाकी मन की चौखट पर उम्मीदों के दीप जलाकर, अँधियारों से दूरी कर दो चतुराई के हाथ लुटे हो जैसे राही भोले भाले मेरे नि...