बिलखती भूख के किस्से तड़पती प्यास लिक्खेंगे
अँधेरों की कलम से रोशनी की आस लिक्खेंगे
ना मंज़र बेबसी का ना कभी अफ़सोस की बातें
नयी पीढ़ी के ये तेवर नया इतिहास लिक्खेंगे
© ✍🏻 निकुंज शर्मा
गहन अँधेरों का डेरा है, एकाकी मन की चौखट पर उम्मीदों के दीप जलाकर, अँधियारों से दूरी कर दो चतुराई के हाथ लुटे हो जैसे राही भोले भाले मेरे नि...
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